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द्रव्य पूजा में हिंसा का प्राधान्य या अहिंसा का? ...37 रखने चाहिए। आर्थिक दृष्टि से विपन्न श्रावकों को घर पर सामायिक की आराधना करनी चाहिए। यदि संभव हो तो अष्टप्रकारी पूजा में से प्रतिदिन अक्षत पूजा करनी ही चाहिए तथा अन्य श्रावकों को यथासंभव सहयोग देना चाहिए।
शंका- परमात्मा की भक्ति के निमित्त किस तरह के स्तुति-स्तोत्र बोलने चाहिए? __ समाधान- परमात्म भक्ति निमित्त वीतराग परमात्मा के १००८ लक्षण वाली गंभीर, सूक्ष्म, भक्ति भाव से पुरित, छंद-अलंकार आदि से युक्त, वैराग्य वर्धक, उत्तम भावों से गर्भित, पुण्यबंध एवं पापक्षय में सहायक, प्रज्ञाशील
आत्मार्थी साधकों द्वारा रचित स्तुति-स्तोत्र से शुद्धोच्चारण पूर्वक परमात्म भक्ति करनी चाहिए। इनसे हमारे भावों की विशेष विशुद्धि होती है।
शंका- परमात्मा की स्तुति, स्तवना आदि क्यों करनी चाहिए?
समाधान- परमात्मा की स्तुति स्तवना आदि करने से दर्शन-ज्ञान-चारित्र सम्यक बनते हैं और बोधि लाभ की प्राप्ति होती है। पापों का प्रक्षालन होता है और आत्मा कषायों से निर्मल बनती है।
शंका- भगवान की आरती एवं र गलदीपक का विधान किस आगम में प्राप्त होता है।
समाधान- भगवती सूत्र की चूर्णि में प्रभु की आरती एवं मंगल दीपक का विधान प्राप्त होता है। __ शंका- अरिहंत परमात्मा के आगे अष्टमंगल रचने अथवा अष्टमंगल पट्ट की पूजा करने का विधान आगमोक्त है?
समाधान- भगवान के आगे अष्टमंगल बनाने का विधान 'जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति' नामक आगम में प्राप्त होता है। परमात्मा के समक्ष सोना-चाँदी-रत्न आदि से निमित्त चावल अथवा शुद्ध अक्षत के द्वारा अष्ट मंगल आकृति बनानी चाहिए। अष्ट मंगल पट्ट की पूजा नहीं होती है। जिन लोगों को अष्ट मंगल की आकृति बनानी नहीं आती उनके लिए पट्ट आदि बनवाकर चढ़ाने या उस पर चावल द्वारा आकृति बनाने हेतु पट्ट परम्परा प्रारंभ हुई होगी। शांतिस्नात्रादि विशिष्ट विधानों में अलग से अष्ट मंगल पट्ट स्वतन्त्र रूप पूजन की विधि होती है। अष्टमंगल की आकृतियाँ मंगल की सूचक मानी गई है।
शंका- मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा हो सकती है? इसकी पूजा विधि