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करिए जिनदर्शन से निज दर्शन ...31 उपयोग अल्प रूप में करना विवेक नहीं है वह तो कंजूसी है अत: फूलों की संख्या कम करना विवेक नहीं है अपितु फूलों की माला आदि बनाने में सुई द्वारा उनका छेदन नहीं करवाना उन्हें योग्य स्थान पर निर्माल्य के रूप में परिष्ठापित करना योग्य रीति से उनकी प्राप्ति करना जयणा है।
शंका- तीर्थ आदि के पट्ट या फोटो का अभिषेक न हो तब तक उनकी वासक्षेप पूजा करनी चाहिए या नहीं?
समाधान- अठारह अभिषेक करने के बाद तीर्थपट्ट आदि की पूजा करनी चाहिए। यदि कारण विशेष से पहले पूजा करनी हो तो तीन नवकार मंत्र गिनकर उनकी स्थापना करें। फिर वासक्षेप पूजा चैत्यवंदन आदि कर सकते हैं।
शंका- जिनपूजा करने के बाद प्रात:कालीन प्रतिक्रमण हो सकता है?
समाधान- उत्सर्ग मार्ग से प्रतिक्रमण पहले और जिनपूजा बाद में होती है। परिस्थिति विशेष में अपवादत: ऐसा कर सकते हैं। सामान्यतया मध्याह्न 12 बजे तक प्रतिक्रमण किया जा सकता है।
शंका- भगवान की पूजा किस अंगुली से और क्यों की जाती है
समाधान- वीतराग परमात्मा एवं पूज्यजनों की पूजा अनामिका अंगुली से करनी चाहिए। अनामिका को श्रेष्ठ अंगुली माना गया है। अनामिका का प्रवाह सीधे हृदय की तरफ जाता है इससे हृदय के भावों की शुद्धि होती है। हमारी अंगली जब प्रतिमा को स्पर्श करती है तो जिनबिम्ब की सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) हमारे भीतर की नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) को भी सकारात्मक बना देती है। वह Negative एवं Positive Energy मिलकर प्रचंड ऊर्जा का निर्माण हमारे भीतर करती है।
___ तर्जनी अंगुली का प्रयोग तिरस्कार हेतु किया जाता है। मध्यमा अंगुली सबमें बड़ी होने के कारण अहंकार आदि के भाव जागृत करती है। तीसरी अंगुली का नाम अनामिका है। वीतराग भगवान अनामी है अत: अनामिका अंगुली से उनकी पूजा की जाती है।
शंका- वीतराग परमात्मा को द्रव्य की आवश्यकता नहीं है फिर उनकी द्रव्य पूजा क्यों की जाए?
समाधान- वीतराग परमात्मा को द्रव्य की आवश्यकता नहीं है यह एक सत्य तथ्य है। इसी प्रकार परमात्मा को तो स्तुति, गुणगान या नाम स्मरण की भी आवश्यकता नहीं है फिर भी हम करते हैं, क्योंकि गुणीजनों के गुणानुमोदन