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________________ 30...सज्जन तप प्रवेशिका • प्रचलित परम्परानुसार इस तप की सफलता हेतु 'ॐ नमो अरिहंताणं' पद की 20 माला एवं साथिया आदि 12-12 करना चाहिए। तप आराधना यन्त्र यह है - साथिया खमासमण कायोत्सर्ग माला 12 12 12 20 12. महासिंहनिष्क्रीडित तप इस तप का स्वरूप लघुसिंहनिष्क्रीडित-तप के समान ही जानना चाहिए। विशेष इतना है कि उसमें अधिक से अधिक नौ दिन की तपस्या की जाती है जबकि इस तप में अधिकाधिक सोलह दिन का तप होता है और फिर उसी क्रम से उतार भी होता है। इसी अपेक्षा से उसे ‘लघुसिंह' और इसे 'बृहत्सिंह' तप की संज्ञा दी गयी है। ___अन्तकृत्दशासूत्र (8/4) के अनुसार यह तप आर्या कृष्णा ने किया था। प्रस्तुत आगम में इस तप-विधि का उल्लेख भी किया गया है। यह तप साधु एवं श्रावक दोनों के लिए अवश्य करणीय है। जैनाचार्यों के अनुसार इस तप के करने से उपशम श्रेणी की प्राप्ति होती है। विधि एकद्रव्येयकपाटयोनियमलै, वेदत्रि वीणाब्धिभिः । षट्पंचाश्वरसाष्टसप्तनवभि, नांगैश्च दिग्नन्दकैः ।। रूद्राशारविभद्र ...... विबुधैर्मातंडमन्वन्वितैःविश्वेदेवतिथि-प्रमाणमनुभिश्चाष्टि-प्रतिथ्यन्वितैः ।। कलामनुतिथित्रयोदश, चतुर्दशार्कन्वितैस्त्रयोदश शिवांशुभिर्दश- गिरीशनन्दैरपि ।। दशाष्ट नवसप्तभिर्गजरसाश्च बाणैः रसैश्चतुविशिखवन्हिभिर्युगभुजत्रिभूद्वीन्दुभिः उपवासैः क्रमात्कार्या, पारणा अन्तरान्तरा । सिंह निष्क्रीडितं नाम, बृहत्संजायते तपः ।। आचारदिनकर, पृ. 351
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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