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252...सज्जन तप प्रवेशिका धम्माइगरे नमसामि।।1।। तम तिमिर पडल विद्धं, सणस्स सुरगण नरिंद महिअस्स। सीमधरस्स वंदे, पफ्फोडिअ मोहजालस्स।।2।। जाई जरा मरण सोग पणासणस्स, कल्लाण पुक्खल विसाल सुहावहस्स। को देव दावण नरिंद गणच्चिअस्स, धम्मस्स सार मुवलब्भ करे पमायं।।3।। सिद्धे भो! पयओ णमो जिणमए, नंदि सया संजमे, देवनागसुवन्न किन्नर गणस्सन्भूअ भावच्चिए। लोगो जत्थ पइट्टिओ जगमिणं तेलुक्क मच्चासुरं धम्मो वडउ सासओ विजयओ धम्मुत्तरं वड्डङ।।4।।
सुअस्स भगवओ करेमि काउस्सग्गं।।1।। वंदण वत्तिआए, पूअण वत्तिआए, सक्कार वत्तिआए, सम्माण वत्तिआए, बोहिलाभ वत्तिआए, निरुवसग्ग वत्तिआए।।2।। सद्धाए, मेहाए, धीईए, धारणाए, अणुप्पेहाए, वड्डमाणीए ठामि काउस्सग्गं।।3।।
अन्नत्थ ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं भमलिए पित्तमुच्छाए।।1।। सुहुमेहि अंगसंचालेहि, सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं, सुहुमेहिं दिट्ठिसंचालेहि।।2।। एवमाइएहिं, आगारेहिं, अभग्गो, अविराहिओ, हुज्ज मे काउस्सग्गो।।3।। जाव अरिहंताणं, भगवंताणं, नमुक्कारेणं, न पारेमि।।4।। ताव कायं ठाणेणं मोणेणं, झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि।।5।।
(एक नवकार का कायोत्सर्ग करें। फिर ‘णमो अरिहंताणं' कहकर तीसरी स्तुति कहें।)
बीस स्थानक तप, साधन सुखद विधान ज्ञातादिक आगम, पावे गुरुगम ज्ञान। आराधे भविजन, पावे पद कल्याण सुविहित जिन आगम, वंदू जीवन प्राण।।3।।
सिद्धाणं बुद्धाणं सिद्धाणं बुद्धाणं, पारगयाणं, परंपर गयाणं। लोअग्ग मुवगयाणं, नमो सया सव्व सिद्धाणं।।1।। जो देवाण वि देवो, जं देवा पंजलि नमसंति। तं देव-देव महिअं, सिरसा वंदे महावीरं।।2।। इक्कोवि नमुक्कारो, जिणवर वसहस्स वद्धमाणस्स। संसार सागराओ तारेइ नरं व नारिं वा।।3।। उज्जित सेल सिहरे, दिक्खानाणं निसीहिआ जस्स। तं धम्म चक्कवडिं,