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248...सज्जन तप प्रवेशिका
जावयाणं, तिन्नाणं-तारयाणं, बुद्धाणं-बोहयाणं, मुत्ताणं-मोअगाणं।।8।। सव्वन्नूणं, सव्वदरिसीणं, सिव-मयल-मरुअ-मणंत-मक्खय-मव्वाबाहमपुणरावित्ति, सिद्धिगइ-नाम घेयं, ठाणं संपत्ताणं, नमो जिणाणं जिअभयाणं।।9।। जे अ अईआ सिद्धा, जे अ भविस्संति णागए काले। संपईअ वट्टमाणा, सव्वे तिविहेण वंदामि।।10।। • अब खड़े होकर 'इरियावहियं आदि सूत्र' बोलें ।
इरियावहियं इच्छाकारेण संदिसह भगवन्! इरियावहियं पडिक्कमामि! इच्छं इच्छामि पडिक्कमिडं।।1।। इरियावहियाए विराहणाए।।2।। गमणागमणे, पाणक्कमणे, बीयक्कमणे, हरियक्कमणे।।3।। ओसा उत्तिंग, पणग, दग, मट्टी मक्कड़ा संताणा, संकमणे।।4।। जे मे जीवा विराहिया।।5।। एगिदिया, बेइन्दिया, तेइन्दिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया।।6।। अभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणाओ, ठाणं संकामिया, जीवियाओ, ववरोविया, तस्स मिच्छामि दुक्कडं।।7।।
तस्स उत्तरी तस्स उत्तरी करणेणं, पायच्छित करणेणं, विसोहि करणेणं, विसल्ली करणेणं, पावाणं, कम्माणं निग्घायणट्ठाए ठामि काउस्सग्गं।।
. अन्नत्थ अन्नत्थ ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलिए पित्तमुच्छाए।।1।। सुहुमेहिं अंगसंचालेहि, सुहुमेहिं खेलसंचालेहि, सुहुमेहिं दिट्टि संचालेहि।।2।। एवमाइएहिं, आगारेहिं, अभग्गो, अविराहिओ, हुज्ज मे काउस्सग्गो।।3।। जाव अरिहंताणं, भगवंताणं, णमुक्कारेणं न पारेमि।।4।। ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि।।5।।
• एक लोगस्स अथवा चार नवकार का काउस्सग्ग करें। काउस्सग्ग पारकर ‘णमो अरिहंताणं' कहते हुए प्रकट लोगस्स कहें।