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परिशिष्ट - I
श्री देववन्दन विधि
चैत्यवंदन
• 'इच्छामि खमासमणो वंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए मत्थएण वंदामि' इस सूत्र के द्वारा तीन बार खमासमण देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन चैत्यवन्दन करूँ? इच्छं' कहकर बायाँ घुटना ऊँचा करें और हाथ जोड़कर चैत्यवंदन करें।
सिद्ध बुद्ध चौबीस जिन, ऋषभ अजित भगवान । संभव अभिनन्दन सुमति, पद्म सुपार्श्व महान ।।1।। चन्द्रप्रभ सुविधि शीतल, श्री श्रेयांस जिनेश । वासुपूज्यप्रभु विमल जिन, अनन्त धर्म विशेष ।।2।। शान्ति कुंथु अर मल्लि विभु, मुनिसुव्रत नमि नेम । पार्श्व वीर हरि पूज्य ए, नित वंदू, धर प्रेम ।।3।। जं किंचि
जं किंचि नाम तित्थं, सग्गे पायालि माणुसे लोए । जाई जिण बिंबाई, ताई सव्वाइं वंदामि।।
णमुत्थुणं
णमुत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं ।।1।। आइगराणं, तित्थयराणं सयं संबुद्धाणं ।।2।। पुरिसुत्तमाणं, पुरिससीहाणं, पुरिसवर पुंडरियाणं, पुरिसवर गंध हत्थीणं । । 3 ।। लोगुत्तमाणं, लोगनाहाणं, लोगहियाणं, लोगपड़वाणं, लोगपज्जो अगराणं ।।4।। अभयदयाणं चक्खुदयाणं, मग्गदयाणं, सरणदयाणं, बोहिदयाणं । 1511 धम्मदयाणं, धम्मदेसियाणं, धम्मनायगाणं, धम्मसारहीणं, धम्मवर चाउरंत चक्कवट्टीणं । 16 ।। अप्पsिहय वर नाण- दंसण-धराणं, विअट्टछउमाणं । । 7 ।। जिणाणं