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________________ 5... सज्जन तप प्रवेशिका 246.. गुंफन किया गया है। श्वेताम्बर परम्परा में बाह्य तप का प्रचलन एवं रूझान सर्वाधिक देखा जाता है। आराधक वर्ग की इसी रुचि को ध्यान में रखकर तप विधियों को पृथक भाग के रूप में प्रस्तुत किया है। इससे तप आराधकों को तप चयन में सुविधा होगी। बड़े आकार की पुस्तक को हर समय साथ रखना मुश्किल होता है। अत: तप आराधकों की Easy Carrying के लिए इसका छोटा रूप जरूरी है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर बाह्य एवं आभ्यंतर तप सम्बन्धी विस्तृत Theoritical विवेचन खण्ड -9 में किया गया है। तप आराधना वर्ग उसके माध्यम से तप सम्बन्धी सूक्ष्म पहलुओं से रूबरू हो पाएगा। प्रस्तुत खण्ड में इसी शास्त्रोक्त ज्ञान को Practically आचरित करने का Procedure बताया हैं। स्थानकवासी एवं तेरापन्थी परम्परा में अधिकांशतः आगमोक्त तप ही किये जाते हैं, शेष तपों का उनमें नहींवत प्रचलन है । सामान्यतया लघु तप के रूप में अष्टमी, चतुर्दशी, पर्यूषण आदि के दिन उपवास, आयंबिल आदि तथा बृहद् तप के रूप में अट्ठाई, मासक्षमण आदि किये जाते हैं।
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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