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________________ 222...सज्जन तप प्रवेशिका • इस तपश्चरण काल में क्रमशः निम्न जाप आदि करें साथिया खमा. कायो. 8 8 जाप ॐ नमो सिद्धाणं 27. परदेशी राजा तप राजा प्रदेशी एक क्रूर शासक था और जैन सिद्धान्तों के विपरीत मत को स्वीकारता था। एक बार केशी गणधर के समागम से वह परम आस्तिक बन गया और आयुष्य पूर्णकर सूर्याभ नाम का देव हुआ। उस देव ने भगवान महावीर के सम्मुख अपूर्व नृत्य किये। राजप्रश्नीय नामक उपांगसूत्र में परदेशी राजा के जीवन चरित्र का विस्तृत वर्णन है । यह तप करने से मिथ्याग्रसित बुद्धि निर्मल हो जाती है यानि इस आत्मा का क्षयोपशम उस तरह का हो जाता है जिससे वह सत्य को सत्य और असत्य को असत्य रूप में स्वीकारता है। विधि - इस तप में 13 छट्ठ बियासना के पारणे से करते हैं। इस प्रकार 39 दिनों में यह तप पूर्ण होता है । इसमें 13 छट्ठ तेरह प्रकार के सम्यक् दर्शन की आराधना हेतु किये जाते हैं। उद्यापन इस तप के बहुमानार्थ सम्यक् दर्शन को पुष्ट करने वाले साधनों का सम्मान करें, दर्शन के उपकरण चढ़ायें तथा साधर्मीभक्ति करें । • प्रचलित विधि के अनुसार प्रत्येक छट्ठ में क्रमश: निम्नलिखित गुणना आदि करें - जाप 1. नमो कारक दंसणधराणं 2. नमो रोचक दंसणधराणं 3. नमो दीपक दंसणधराणं 4. नमो निसग्ग रुइधराणं 5. नमो उपएस रुइधराणं 6. नमो सुत्त - रुइधराणं 7. नमो आणा - रुइधराणं 8. नमो वीय रुइधराणं साथिया खमा. 13 13 13 13 13 13 13 3 3 13 13 13 13 13 3 13 कायो. 13 3 माला 12 13 13 13 माला 20 20 20 20 22222222 20 20 20 20
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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