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जैन धर्म की श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित तप-विधियाँ...223
9. नमो अभिगम रुइधराणं 10. नमो वित्थार रुइधराणं 11. नमो किरिया रुइधराणं 12. नमो संखेव रुइधराणं 13. नमो धम्म रुइधराणं
28. बावन जिनालय तप
यह तप नन्दीश्वर द्वीप के बावन जिनालयों की आराधना के निमित्त किया जाता है। इस तप-सम्बन्धी विस्तृत वर्णन 'नन्दीश्वर तप' में कर चुके हैं। इस तप के द्वारा शाश्वत चैत्यों एवं शाश्वत प्रतिमाओं की उपासना होती है, सम्यग्दर्शन विशुद्ध होता है, दर्शनाचार का परिपालन होता है और दर्शन मोहनीय कर्म का क्षय होता है।
विधि - इस तप में महीने की दोनों अष्टमियों और दोनों चतुर्दशियों में उपवास करें। इस प्रकार 13 महीनों में 52 उपवासों के द्वारा यह तप पूर्ण होता है। ___ यह तप करते हुए यदि कोई तिथि भूल जायें तो फिर से शुरू करना चाहिए।
उद्यापन - नन्दीश्वर द्वीप की पूजा रचायें। दर्शन-ज्ञान-चारित्र की भक्ति करें। संघवात्सल्य एवं संघपूजा करें। .
• परम्परागत मान्यतानुसार इस तप में उपवास के दिन निम्न जापादि करेंजाप
साथिया खमा. कायो. माला श्री चन्द्रानन स्वामी सर्वज्ञाय नम: 12 12 12 20 29. तीर्थ तप तीर्थ-यात्रा के लिए प्रस्थान करने के दिन अथवा किसी तीर्थ के प्रथम दर्शन के दिन उपवास करना चाहिए। इससे उत्कृष्ट पुण्य का उपार्जन होता है और सम्यग्दर्शन निर्मल बनता है। तीर्थ दर्शन के दिन उपवास करने से इसे तीर्थ-तप कहा गया है।