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210...सज्जन तप प्रवेशिका
सम्बन्धी के घर पर जाकर करें। पाँचवें अट्ठम का पारणा पुन: अपने स्वजनसम्बन्धी के घर पर करें। वहाँ जाने पर यदि वह भोजन के लिए आग्रह करे तो ही वहाँ एकासना करें, अन्यथा अपने घर पर बचे हुए भोजन से एकासना करें।
छठवें अट्ठम के पारणे के दिन दो कटोरियाँ एक घी और दूसरी पानी से भरकर उसे ढंक दें। फिर किसी अपरिचित व्यक्ति से एक कटोरी का ढक्कन खुलवायें। उस समय घी की कटोरी खुले तो एकासना करें तथा पानी की खुले तो आयम्बिल करें। सातवें अट्ठम के पारणे में एक घर अपना और छह घर दूसरे इस तरह सात घरों में से किसी एक के यहाँ एकासना करें। आठवें अट्ठम के पारणे में चन्दन बाला की भाँति मुनि को उड़द बाकुला का आहार प्रदान कर स्वयं भी उड़द से ही एकासना करें।
नौवें अट्ठम के पारणे में सूखी रोटी अथवा पूरी से पारणा करें। दसवें अट्ठम के पारणे में सूखड़ी द्वारा एकासना करें। ग्यारहवें अट्ठम के पारणे में द्राक्ष अथवा छुहारे आदि मेवे से एकासना करें। बारहवें अट्ठम के पारणे में धोयी हुई शक्कर आदि के पानी से एकासना करें। तेरहवें अट्ठम के पारणे में पुनः शक्कर से एकासना करें। __इस प्रकार 13 अट्ठम और 13 एकासना कुल 52 दिनों में यह तप पूर्ण होता है।
उद्यापन - इस तप के उद्यापन में स्नात्र पूजा अथवा मोहनीय कर्म निवारण की पूजा करवायें, जिन प्रतिमा के सम्मुख 13-13 की संख्या में फल, नैवेद्य आदि चढ़ायें और यथाशक्ति साधर्मीवात्सल्य करें।
• इस तप के दिनों में निम्न रीति से जाप-साथिया-कायोत्सर्ग आदि निम्न रीति से करें।
सा. | खमा.कायो.| माला 1. आलस काठिया निवारकाय नमः । 2. मोह काठिया निवारकाय नमः 3. अवज्ञा काठिया निवारकाय नमः 4. मान काठिया निवारकाय नमः 5. क्रोध काठिया निवारकाय नमः 6. प्रमाद काठिया निवारकाय नमः
जाप
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