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________________ 202...सज्जन तप प्रवेशिका 7. ॐ अवधि लब्धये नमः 50 50 50 20 8. ॐ ऋजुमति मनःपर्यव लब्धये नम: 50 50 9. ॐ विपुलमति मनःपर्यव लब्धये नम:50 50 10. ॐ चारण लब्धये नमः 50 50 50 11. ॐ आशीविष लब्धये नमः 50 50 50 12. ॐ केवल लब्धये नमः 13. ॐ गणधर लब्धये नमः 14. ॐ पूर्वधर लब्धये नमः 15. ॐ तीर्थङ्कर लब्धये नमः ____50 50 50 16. ॐ चक्रवर्ती लब्धये नमः ___ '50 50 50 17. ॐ बलदेव लब्धये नमः 50 50 50 18. ॐ वासुदेव लब्धये नमः 50 50 50 19. ॐ अमृताश्रव लब्धये नमः 50 20. ॐ कोष्ठकबुद्धि लब्धये नमः 21. ॐ पदानुसारी लब्धये नमः ॐ बीजबुद्धि लब्धये नमः 23. ॐ तेजोलेश्या लब्धये नमः 50 50 50 20 24. ॐ आहारक लब्धये नमः 50 50 50 20 25. ॐ शीतलेश्या लब्धये नमः 50 50 50 20 26. ॐ वैक्रिय लब्धये नमः 50 50 50 20 27. ॐ अक्षीणमहानस लब्धये नमः 50 50 50 20 28. ॐ पुलाक लब्धये नमः 50 50 50 20 6. अष्टप्रवचनमातृ तप जिस प्रकार माता अपनी सन्तान का यत्न पूर्वक पालन-पोषण एवं रक्षण करती है, उसी प्रकार पाँच समितियों और तीन गुप्तियों के रूप में अष्ट प्रवचन माता संयम माता समान चारित्र की रक्षा करती है। इसीलिए इसे अष्टप्रवचन माता कहते हैं। आवश्यक क्रियाओं को एकाग्र चित्त पूर्वक करना समिति है तथा शुभ क्रियाओं (शुभ योगों) को अनुशासित रखना गुप्ति है।
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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