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________________ 200...सज्जन तप प्रवेशिका आदि के स्पर्श से सब रोगों को नष्ट करने की शक्ति प्राप्त होना, सर्वौषधि लब्धि है। ___6. संभिन्नश्रोतो लब्धि- सर्व इन्द्रियों द्वारा श्रोत्रेन्द्रिय के विषय को जानना, संभिन्नश्रोतो लब्धि है। 7. अवधिज्ञान लब्धि- इन्द्रियों और मन की सहायता के बिना रूपी द्रव्यों को देखना या जानना, अवधिज्ञान लब्धि है। 8. ऋजुमति मनःपर्यव लब्धि- अढ़ाई द्वीप में विद्यमान संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों के मनोगत विचारों को इन्द्रियों और मन की सहायता के बिना जानना ऋजुमति मन:पर्यव लब्धि है। 9. विपुलमति मनःपर्यव लब्धि. - अढ़ाई द्वीप में विद्यमान संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों के मनोगत भावों को इन्द्रियों और मन की सहायता के बिना विशेष रूप से जानना विपुलमति मनःपर्यव लब्धि है। ___ 10. चारण लब्धि - आकाश में गमन करने की शक्ति प्राप्त होना, चारण लब्धि है। 11. आशीविष लब्धि - दांतों में विष जैसी शक्ति उत्पन्न हो जाना, आशीविध लब्धि है। 12. केवलज्ञान लब्धि - लोक-अलोक के पदार्थों के समस्त भावपर्यायों को जानना, केवलज्ञान लब्धि है। 13. गणधर लब्धि - गणधर पद प्राप्त करना, गणधर लब्धि है। 14. पूर्वधर लब्धि - चौदहपूर्व तक का श्रुत प्राप्त करना, पूर्वधर लब्धि है। 15. तीर्थङ्कर लब्धि - तीर्थङ्कर पद प्राप्त करना तीर्थंकर लब्धि है। 16. चक्रवर्ती लब्धि - चक्रवर्ती पद प्राप्त करना चक्रवर्ती लब्धि है। 17. बलदेव लब्धि - बलदेव पद प्राप्त करना बलदेव लब्धि है। 18. वासुदेव लब्धि - तीन खण्ड के अधिपति वासुदेव पद प्राप्त करना वासुदेव लब्धि है। ___19. अमृताव लब्धि - अमृत जैसे वचनों को प्राप्त करना, अमृताश्रव लब्धि है। 20. कोष्ठकबुद्धि लब्धि - कोठार में सुरक्षित धान्य की भाँति आगम पाठों को दीर्घकाल तक स्थिर रखना, कोष्ठकबुद्धि लब्धि है।
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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