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188...सज्जन तप प्रवेशिका
उद्यापन - इस तप का यथाशक्ति उद्यापन करना चाहिए। इस तपस्या में अरिहन्त पद की आराधना करनी चाहिए।
जाप साथिया खमा. कायो. माला ॐ नमो अरिहंताणं 12 12 12 20 2. दारिद्र्यनिवारण तप
यह तप दरिद्रता निवारण के उद्देश्य से किया जाता है। जो प्राणी बाह्य दरिद्रता-गरीबीपन आदि अभावग्रस्त परिस्थितियों के कारण धर्माभिमुख नहीं हो पाते हैं, धर्म क्रियाओं से जुड़ने में रुचि नहीं रखते हैं उन्हें धर्मोन्मुख करने के लिए इस तप का विधान किया गया है। . ___ अर्वाचीन प्रतियों में इसकी यह विधि वर्णित है
यह तप पूर्णिमा के दिन प्रारम्भ करके, उसमें प्रथम दिन उपवास, दूसरे दिन एकासना, तीसरे दिन नीवि, चौथे दिन आयंबिल, पाँचवें दिन बियासना, छठे दिन उपवास, सातवें दिन एकासना, आठवें दिन नीवि, नौवें दिन आयंबिल और दसवें दिन बियासना करें। इस प्रकार यह तप दस दिनों में पूर्ण होता है।
उद्यापन - इस तप के पूर्ण होने पर साधु-साध्वी को दान देवें, साधर्मीभक्ति करें तथा ज्ञान पूजा करें। • वर्तमान परम्परानुसार इस तपश्चर्या में निम्न आराधना करें
जाप साथिया खमा. कायो. माला ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो नाणस्स 51 51 51 20 3. कलंकनिवारण तप
इस तप का दूसरा नाम सीता तप है, क्योंकि प्राप्त उल्लेखानुसार यह तप सीता सती ने कलंक निवारण के लिए किया था। जो प्राणी शुद्ध भावों से इस तप की आराधना करता है वह कलंक से कभी दूषित नहीं होता तथा किसी तरह का झूठा कलंक लग गया हो तो वह संकट शीघ्र टल जाता है।
यह तप निम्न विधि से करें -
इस तप में क्रमश: एक उपवास, फिर एक बियासना, फिर एक आयंबिल और पुन: एक उपवास करें। कुछ आचार्य इसमें नौ दिन तप करने का निर्देश