SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 130... सज्जन तप प्रवेशिका 28. अशोकवृक्ष तप अशोक का अर्थ है शोक रहित । जिस वृक्ष के आलम्बन से भय एवं शोक नष्ट हो जाते हैं, वह अशोकवृक्ष कहलाता है। अशोकवृक्ष में स्वयं में ऐसी शक्ति निहित है कि उसके प्रभाव से संसार के त्रिविध तापों से सन्तप्त प्राणियों को बाह्य और आभ्यन्तर शान्ति प्राप्त होती है। अशोकवृक्ष की इसी विशिष्टता के कारण इसे तीर्थङ्कर के आठ प्रातिहार्यों में प्रमुख स्थान प्राप्त है। जब भी देवों द्वारा समवसरण की रचना की जाती है उस समय प्रभु के शरीर से बारह गुणा ऊंचे अशोकवृक्ष की भी रचना होती है, जिसके नीचे बैठकर प्रभु देशना देते हैं । यह तप अशोकवृक्ष की तरह मंगलकारी होने से अशोकवृक्ष तप कहलाता है। जैनाचार्यों का कहना है कि इस तप के करने से सर्व सुखों की प्राप्ति होती है। यह आगाढ़ तप समस्त भव्य प्राणियों के लिए अनुकरणीय है। प्रथम विधि आश्विन शुक्ल प्रतिपदमारभ्य, तिथिश्च पंच निजशक्त्या । कुर्यात्तपसा सहितः, पंच समा इदमशोक तपः । । आचारदिनकर, पृ. 357 यह तप आश्विन शुक्ला प्रतिपदा के दिन से शुरू करके पंचमी पर्यन्त स्वशक्ति के अनुसार वहन करें। इस तरह पाँच वर्ष करना चाहिए । इस विधि में किसी भी तप विशेष का उल्लेख न करते हुए यथाशक्ति तप का निर्देश किया गया है जबकि दूसरी विधि के अनुसार निम्न स्वरूप प्राप्त होता है। दूसरी विधि जैन प्रबोध एवं जैन सिन्धु के अनुसार यह तप आश्विन मास में पन्द्रह उपवास और पन्द्रह एकासना द्वारा एक वर्ष के लिए किया जाता है। सम्प्रति इस तप का प्रचलन नहींवत होने से कौनसी विधि अधिक मूल्य रखती है, कह पाना मुश्किल है। उद्यापन इस तप के पूर्ण होने पर अशोकवृक्ष सहित नया जिनबिम्ब बनवाकर उसकी विधि पूर्वक प्रतिष्ठा करवायें तथा षट् विकृतियों से युक्त नैवेद्य, सुपारी एवं फल आदि से पूजा करें। साथ ही शक्ति अनुसार साधर्मीवात्सल्य एवं संघपूजा करें। 1 • पूर्वाचार्यों द्वारा अनुमत व्यवहार का परिपालन करते हुए प्रस्तुत तप के दिनों में अरिहन्त पद की आराधना करें
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy