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दूसरी रीति
तहा अट्ठ-दुवालस- सोलस- चउवीस पुरिसाण एकत्तीस थीणं सत्तावीसं कवला । जहकम्मं पंचहिं दिणेहिं ऊणोयरियातवो ।
विधिमार्गप्रपा, पृ. 27
विधिमार्गप्रपा के अनुसार पुरुषापेक्षा से यह तप अनुक्रमशः आठ, बारह, सोलह, चौबीस और इकतीस कवलों द्वारा पाँच दिन में पूर्ण किया जाता है तथा स्त्रियापेक्षा से भी यह तप क्रमशः सात, ग्यारह, चौदह, इक्कीस और सत्ताईस कवलों के द्वारा पाँच दिन में ही पूर्ण होता है।
आचार्य जिनप्रभसूरि ने जघन्यादि भेद से इसका वर्णन नहीं किया है इसलिए दोनों विधियों में तप दिन को लेकर अन्तर है। विधिमार्गप्रपा वर्णित ऊनोदरी तप को 'लोकप्रवाहऊनोदरिका' कहा जाता है।
भाव ऊनोदरिका विषय-वासनादि भावों का भाव ऊनोदरी कहलाती है।
पुरुष ऊनोदरिका जघन्य,
तप (आगाढ़)
ग्रास
अल्पा.
3/4/
5/6/
7/8
अपार्धा 9/10
11/12
प्राप्ता
जैन धर्म की श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित तप - विधियाँ... 99
द्विभागा 13/14 15/16
किंचि
ऊनोदरिका-तप का यन्त्र इस प्रकार है -
1/2/
दूना
/28/29
/30/31
आगम पाठ के अनुसार प्रतिदिन क्रोधादि भावों, त्याग करना तथा जिनाज्ञा का चिन्तन-मनन करना
मध्यम, उत्कृष्ट ग्रास
-
लोक प्रवाहोनोदरी- तप
पुरुष
प्रथम
ज. 1 म. 2/3/4/5 दिन
3.6/7/8
ज. 9 द्वितीय दिन
म. 10/1
3./12
ज. 13 तृतीय
म. 14
दिन
3. 15/16
17/18/
ज. 17/18 चतुर्थ
19/20/
म. 19/20 दिन
21/22/
/21/22
23/24 3. 23/24
25/26 ज. 25/26 पंचम
27 म. 27/28
दिन
/29
3. 30/31
कवल'
8
कवल
कवल
16
कवल 14
कवल
31
स्त्रियों का ऊनोदरिका तप
(आगाढ़)
ग्रास
1/2/3
/4/5
6/7
8/9/10
11/12
12/13
/14
अल्पा.
अपार्धा
द्विभागा
15/16/ प्राप्ता
17/
18/19
20/21
22/23/ किंचि
24/25/ दूना
26/27
जघन्य, स्त्रियाँ लोक
मध्यम,
उत्कृष्ट
ग्रास ज. 1/2 म. 3/4/5 दिन
3. 6/7
प्रथम
ज. 8 द्वितीय
दिन
उ.14
. 15/16 चतुर्थ
दिन
म. 17/18/19
3. 20/21
ज. 22 / 23 म. 24/25 3. 26/27
म. 9
3. 10/11
ज. 12 तृतीय कवल म. 13 दिन 14
प्रवाह ऊनोद
रिका
कवल
7
पंचम दिन
कवल
11
21
1227