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98...सज्जन तप प्रवेशिका
(iv) प्राप्ता ऊनोदरी - सत्तरह से अट्ठारह ग्रास जघन्य, उन्नीस से बाईस ग्रास मध्यम और तेईस से चौबीस ग्रास ग्रहण करना उत्कृष्ट प्राप्ता ऊनोदरि है।
(v) किंचिदना ऊनोदरी- पच्चीस से छब्बीस ग्रास जघन्य, सत्ताईस से उनतीस ग्रास मध्यम और तीस से इकतीस ग्रास ग्रहण करना उत्कृष्ट किंचिदूना ऊनोदरी है।
पुरुष का सम्पूर्ण आहार 32 कवल का होता है इसलिए 31 कवल तक किंचित ऊनोदरिका होती है। इस प्रकार पाँचों प्रकार की ऊनोदरिका एकाशन तप पूर्वक 15 दिनों में पूर्ण होती है।
(स्त्री की अपेक्षा)
स्त्रियों का सम्पूर्ण आहार 28 कवल का माना गया है अत: उनके लिए पंचविध ऊनोदरिका इस प्रकार समझनी चाहिए
(i) अल्पाहारा - एक से सात कवल तक (ii) अपार्धा - आठ से ग्यारह कवल तक (iii) द्विभागा - बारह से चौदह ग्रास तक (iv) प्राप्ता - पन्द्रह से इक्कीस कवल तक (v) किंचिदूना – बाईस से सत्ताईस कवल तक सामान्य ऊनोदरिका समझनी चाहिए।
ये पांचों ऊनोदरिका भी जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट के भेद से इस प्रकार हैं
(i) अल्पाहारा ऊनोदरी - एक से दो ग्रास जघन्य, तीन से पाँच ग्रास मध्यम और छह से सात ग्रास ग्रहण करना उत्कृष्ट अल्पाहारा ऊनोदरिका है।
(ii) अपार्धा ऊनोदरी - आठ ग्रास की जघन्य, नौ ग्रास की मध्यम और दस से ग्यारह ग्रास ग्रहण करना उत्कृष्ट अपार्धा ऊनोदरिका है।
(ii) द्विभागा ऊनोदरी - बारह ग्रास की जघन्य, तेरह ग्रास की मध्यम और चौदह ग्रास की उत्कृष्ट द्विभागा ऊनोदरिका है।
(iv) प्राप्ता ऊनोदरी - पन्द्रह से सोलह ग्रास की जघन्य, सत्तरह से उन्नीस ग्रास की मध्यम और बीस से इक्कीस कवल की उत्कृष्ट प्राप्ता ऊनोदरिका है।
(v) किंचिदूना ऊनोदरी - बाईस से तेईस ग्रास की जघन्य, चौबीस से पच्चीस ग्रास की मध्यम और छब्बीस से सत्ताईस ग्रास की उत्कृष्ट किंचिदूना ऊनोदरिका है।
इस प्रकार स्त्रियों की अपेक्षा भी यह द्रव्य ऊनोदरिका एकाशना तप पूर्वक 15 दिनों में पूर्ण होती है।