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82... सज्जन तप प्रवेशिका
जहाँ भगवान की कल्याणक - भूमि हो वहाँ महोत्सव पूर्वक यात्रा करने जायें। पंच-कल्याणक पूजा पढ़ायें । संघ - वात्सल्य, साधर्मी- भक्ति करें।
• प्रचलित विधि की मान्यतानुसार कल्याणक तप के दिनों में निम्न आराधना अवश्य करें।
जाप जिस तीर्थंकर भगवान का जो कल्याणक हो उस तीर्थंकर का नाम जप पद में जोड़कर निम्नानुसार 20 माला गिनें
1. च्यवन कल्याणक हो तो 'ॐ ह्रीं श्रीं .... परमेष्ठीने नमः'
2. जन्म कल्याणक हो तो 'ॐ
ह्रीं श्रीं.... अर्हते नमः'
ह्रीं श्रीं.... नाथाय नमः'
3. दीक्षा कल्याणक हो तो 'ॐ 4. केवलज्ञान कल्याणक हो तो 'ॐ ह्रीं श्रीं .... सर्वज्ञाय नमः '
ह्रीं श्रीं .... पारंगताय नमः'
5. निर्वाण कल्याणक हो तो 'ॐ साथिया
खमासमण
कायोत्सर्ग
12
12
12
माला
20
2. तीर्थङ्कर दीक्षा तप
यह तप कल्याणक-तप से किंचिद् भिन्न है, क्योंकि कल्याणक तप में च्यवन आदि पाँचों कल्याणक तिथियों की आराधना की जाती है और वह आराधना भी एक निर्धारित तप के द्वारा करते हैं जबकि इस तप में तीर्थङ्करों ने जिस तप के साथ दीक्षा ग्रहण की, उस तप विशेष की अथवा उसके परिमाण में किसी अन्य तप की आराधना की जाती है।
दूसरा उल्लेखनीय यह है कि दीक्षा, केवलज्ञान और निर्वाण तप का कल्याणक-तप में समावेश हो जाता है, परन्तु कल्याणक का तप आगाढ़ होने से वह कल्याणक के दिनों का स्पर्श करके ही किया जाता है जबकि च्यवनादि तीनों तप अनागाढ़ होने से तप की संख्यानुसार किये जा सकते हैं। कुछ आचार्यों के निर्देशानुसार इस तप की आराधना दीक्षा का महीना, तिथि एवं तप- इन तीनों की स्पर्शना करते हुए की जाती है। यहाँ दोनों प्रकारों की चर्चा की जाएगी।
यह तप अरिहन्त परमात्मा के दीक्षा - तप का अनुसरण करने वाला होने से -तप कहलाता है। इस तप का दूसरा नाम 'तीर्थङ्कर निर्गम तप' है। निर्गमन
दीक्षा