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________________ 42...सज्जन तप प्रवेशिका 3. पा. WIN | पा. 13 उ. | पा. 1 1 3 2 पा. पा. उपवास पारणा करने पर द्वितीय | पा.| उ. काहलिका पूर्ण होती है। | पा. | 21 ___ इस तप में कुल 334 उपवास | पा. और 88 पारणा होते हैं। सब मिलाकर 1 वर्ष, 2 मास, 2 दिनों में यह तप पूर्ण होता है। इस तप की चारों परिपाटियों में कुल 4 वर्ष, 8 मास और 8 दिन लगते हैं। इस तप की पहली परिपाटी के सभी पारणे में समस्त रस ग्रहण करते हैं। दूसरी परिपाटी के पारणे में छह विगय का त्याग रखते हैं। तीसरी परिपाटी के पारणे में अलेपकृत आहार ग्रहण करते हैं तथा चौथी परिपाटी के पारणे में आयंबिल करते हैं। ___एकावली तप का यन्त्र निम्न | पा. पा. पा. काहलिका दाड़िम-60, एकावली तप में दिन-334,पारणा-88 ००Nom पा. 4444444444444444 |पा. 9 |पा. | 10 10 पा. 11 पा. पा. 12 13 पा. | उ. | | | 12 13 14 15 16 पा. 14 पा. 15 16 पा. लता-2 लता -1 1 आवलीका आवलीका 2 उद्यापन - इस तप की महिमा के प्रख्यापनार्थ बृहत्स्नात्र पूजा विधि पूर्वक करें। जिन प्रतिमा को एक लड़ वाला मोतियों का हार पहनाएँ। ज्ञान भक्ति निमित्त स्वर्ण अक्षरों में शास्त्र लिखवाएं, सुविहित मुनिराज को आहार-वस्त्रादि का दान दें, संघ वात्सल्य एवं गुरु भक्ति करें। • जीत परम्परा का अनुसरण करते हुए इस तपोयोग के दौरान प्रतिदिन निम्न क्रियाएँ अवश्य करनी चाहिए। | 1 | 1 | 1 | 1 | 1 | 1 | | 1 | 1 | 1 1 |1 | 1 | 1 | 1 पारणांतर पदक
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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