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आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे?
ध्वनि इससे भी स्पष्टतः मुखरित होती है। शंख ध्वनि के अपने बहुत फायदे हैं। पिछले कई वर्षों से अनुसंधानकर्ता शंखध्वनि के रिसर्च में लगे हुए हैं और उन्होंने इस सम्बन्ध में आश्चर्यजनक तथ्य भी उद्घाटित किये हैं ।
• शंख मुद्रा से वचन, आवाज, पाचनशक्ति, उदर और आंत सम्बन्धी जो भी फायदे होते हैं वे सभी इस मुद्रा से भी मिलते हैं।
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प्राकृतिक स्तर पर शंखिनी नाड़ी का उद्भव होता है जिससे शक्ति ऊर्ध्वगामी बनती है। मेरूदंड सीधा रहता है और इसका लचीलापन कायम रहता है। • आध्यात्मिक दृष्टि से स्तंभनशक्ति का विकास होता है तथा ब्रह्मचर्य व्रत के पालन में मदद मिलती है। जितने अनुपात में ब्रह्मशक्ति का अर्जन होता है शुभ भावधारा में भी उतनी वृद्धि होती है।
एक्युप्रेशर सिद्धान्त के अनुसार इस मुद्रा के द्वारा घुटने एवं एड़ी की सूजन में आराम मिलता है तथा यह टी. वी., बन्द श्वास नली, बोलते वक्त श्वास का फूलना, स्वर की कमजोरी आदि में लाभ करती है।
16. पंकज मुद्रा
संस्कृत के पंकज शब्द का अर्थ है कमल । इस शब्द का व्युत्पत्ति अर्थ होता है 'पंके जायते इति पंकज : ' - जो कीचड़ में पैदा होता है वह पंकज (कमल) है।
भारतीय संस्कृति में कमल को निर्लिप्त माना गया है। हम देखते हैं वह कीचड़ में पैदा होता है फिर भी कीचड़ के दलदल में फँसता नहीं, सदैव कीचड़ (कीटमल) से ऊपर रहता है। जैन वाङ्मय में साधक वह कहलाता है जो कमल की भाँति निर्लिप्त जीवन जीता हो, संसार और सम्बन्धों के बीच रहते हुए भी स्वयं को धायमाता की तरह पृथक समझता हो । पंकज मुद्रा का मुख्य ध्येय राग से विराग, ममत्व से निर्ममत्व, अहं से अर्हम्, मोह से मोक्ष की भूमिका पर आरोहण करना है।
विधि
इस मुद्रा के उचित परिणाम प्राप्त करने के लिए पद्मासन या समपाद आसन में स्थित हो जायें। उसके बाद दोनों अंगूठों को परस्पर मिलायें एवं दोनों कनिष्ठिकाओं को परस्पर मिलायें, शेष अंगुलियों को कमल की पंखुड़ियों की तरह किंचित झुकाकर खड़ी रखना पंकज मुद्रा है। 13