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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ...77
सहज शंख मुद्रा निर्देश- 1. नीलम संघवी द्वारा लिखित 'मुद्राविज्ञान के अनुसार सहज शंख मुद्रा का अभ्यास वज्रासन में बैठकर मूलबंध लगाकर (मुद्रा के स्नायु अंदर की ओर खींचते हुए) करें।
2. यह अभ्यास प्राणायाम के साथ करने पर विशेष लाभकारी होता है।
3. प्रतिदिन नियत समय पर कम से कम 10 मिनट अवश्य करें। सुपरिणाम
सहज शंख मुद्रा विविध दृष्टियों से अनुकरणीय है।
• दैहिक स्तर पर गुदा के स्नायुओं में किसी तरह की तकलीफ हो तो तुरन्त लाभ मिलता है।
• वज्रासन, मूलबंध एवं सहज शंख मुद्रा को एक साथ करने पर शारीरिक संवेदनाओं और प्रकंपनों का अनुभव होता है जिससे चित्त की स्थिरता, धैर्यता, एकाग्रता आदि में अभिवृद्धि होती है।
• जैसे शंखमुद्रा से शंख की आवाज निकलती है उसी तरह की शंख