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40... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग 5. नासाग्र-नासिकाग्र मुद्रा
योग साधना के अभ्यासी अथवा योग साधना में रूचि रखने वाले व्यक्ति इतना अवश्य जानते होंगे कि प्रत्येक चेतना शक्ति में प्राणों का प्रवाह कभी मन्द तो कभी तीव्र रूप से, कभी सम तो कभी विषम रूप से बहता रहता है। प्राण शक्ति का आवागमन प्राय: नासारन्ध्रों से होता है तथा नासारन्ध्रों में उस शक्ति (वायु) के आवागमन का नियंत्रण अंगुलियों द्वारा किया जाता है। इस उद्देश्य से एक हाथ को चेहरे के सामने विशिष्ट स्थिति में रखना नासिका अथवा नासिकाग्र मुद्रा कही जाती है। ___सामान्यतया अग्रलिखित विधि के अनुसार हाथ एवं अंगुलियों को नासिका पर स्थिर करना नासिका मुद्रा है। यह मुद्रा मुख्य रूप से नाड़ी शोधन नामक प्राणायाम के अभ्यास में सहायक बनती है।
विधि
नासिकाय मुद्रा • सर्वप्रथम सुविधाजनक आसन में बैठ जायें। फिर दाहिने हाथ को चेहरे के सामने ले आयें (बायें हाथ का भी प्रयोग किया जा सकता है)।
• तर्जनी और मध्यमा अंगुलियों को सीधा रखते हुए उनके अग्रभागों को भ्रूमध्य (ललाट के मध्य) पर रखें, अंगूठे को दाहिने नासारन्ध्र के बगल में रखें