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38... यौगिक मुद्राएँ: मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग
4. भूचरी मुद्रा
'भूचरी' का शाब्दिक रूप से अर्थ किया जाए तो 'भू' का अर्थ है - पृथ्वी, 'चर' का अर्थ है- गतिमान, चलायमान । यहाँ यह अर्थ युक्तियुक्त नहीं है इसलिए भूचरी का रहस्यात्मक अर्थ ग्रहण करेंगे । यहाँ भूचरी का अभिप्रेत अर्थ है - शून्य को एकटक देखना ।
जब साधक शून्य के प्रति पूर्णतः सजग रहता है तब उसे अन्य कुछ भी दिखलाई नहीं पड़ता है | कदाच कोई बाह्य घटना देख भी ली जाए तो भी चेतन मन पर किसी तरह का प्रभाव विद्यमान नहीं रहता। इसे साधना की उत्कृष्ट स्थिति/उत्कृष्ट भूमिका कहा जा सकता है।
इस मुद्रा का उद्देश्य शून्य के प्रति सजग रहते हुए आत्म द्रव्य की अनन्त ज्ञानादि पर्यायों में रमण करना है।
विधि
भूचरी मुद्रा
किसी भी ध्यान के आसन में बैठ जायें। तदनन्तर बायें हाथ को ज्ञान मुद्रा पूर्वक घुटने पर रखें, दाहिने हाथ को उठाकर चेहरे के सम्मुख लायें। हथेली