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________________ सामान्य अभ्यास साध्य यौगिक मुद्राओं का स्वरूप... ...37 5. यह अभ्यास शारीरिक रूप से कम एवं मानसिक रूप से ज्यादा किया जाता है। इसमें भले ही आँखों की पलके आंशिक रूप से बन्द रखी जाती हैं फिर भी इस प्रक्रिया को मानसिक रूप से अनुभव करना होता है वही महत्त्वपूर्ण है। 4 सुपरिणाम • उन्मनी मुद्रा वह अवस्था है जिसमें मन - अमन की ओर, योग- अयोग की ओर, देह - विदेह की ओर, वचन - मौन की ओर, इन्द्रियाँ - अतीन्द्रिय की ओर, जीव- शिव की ओर, नर-नारायण की ओर अग्रसर बनता है। • उन्मनी मुद्राभ्यस्त व्यक्ति सांसारिक कार्यों को करते हुए भी निर्विचार स्थिति में रह सकता है । मन क्रियाशील रहने पर भी उसके आन्तरिक विचारों में सामंजस्य रहता है। उसके अन्दर सभी प्रकार के विश्लेषण, परस्पर विरोध और संघर्ष का अभाव रहता है। वह मानसिक क्रियाओं के प्रति सचेत रहते हुए भी कहीं पर आसक्त नहीं रहता। वह खुली आँखों से दृश्यमान जगत को देखता हुआ भी उनसे ममत्त्व नहीं रखता है। • हठयोग प्रदीपिका में उन्मनी मुद्रा के महत्त्व को उजागर करते हुए कहा गया है कि जो अपने मन को आलम्बन रहित करके कोई चिन्तन नहीं करता, उस विचार शून्यता की अवस्था में घर के अन्दर और बाहर समान रूप से व्याप्त आकाश के सदृश उसका मन अचल और स्थिर रहता है। 5 इसी विषय में आगे कहते हैं कि इस जगत में जड़ और चेतन जो कुछ प्रपंचात्मक दृश्य है, वे सभी मन की कल्पना हैं। वह एक भ्रमपूर्ण अज्ञान का आवरण है । जिस समय मन में उन्मनी अवस्था आती है उस समय सभी प्रकार के द्वन्द्व और अविद्या के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं । • उन्मनी मुद्रा की सर्वाधिक उपादेयता यह भी मानी जा सकती है कि उस साधक में संसार के समस्त विषयों की आसक्तियाँ और उनके बन्धन दूर हो जाते हैं। वह शीघ्र ही निर्विचार एवं शून्यता की स्थिति के निकट पहुँच जाता है। इस मुद्रा का मुख्य प्रभाव निम्न चक्रों आदि पर पड़ता है जिससे अभ्यासी साधक स्वस्थ एवं तनाव रहित जीवन जीने की योग्यता विकसित कर लेता है । चक्र - आज्ञा, मूलाधार एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- आकाश एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थि - पीयूष, प्रजनन एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन, शक्ति एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, आंख, मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव।
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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