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सामान्य अभ्यास साध्य यौगिक मुद्राओं का स्वरूप......35 3. उन्मनी मुद्रा
उन्मनी का शाब्दिक अर्थ है- मन रहित अथवा विचार रहित होना। मुद्रा का अर्थ है- मानसिक वृत्तियों की साहजिक चेष्टा। उन्मनी मुद्रा एक साधना मलक प्रयोग है जिसमें मन विचार रहित अवस्था में पहुँच जाता है। इस दृष्टि से मुद्रा को निर्विचार ध्यान की अवस्था भी कहा जा सकता है। उन्मनी मुद्रा का प्रयोजन भूत लक्ष्य भी निर्विकल्प अवस्था (मोक्षअवस्था) की उपलब्धि है।
उन्मनी मुद्रा-1 विधि
किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जायें। सहज रूप से आँखे पूरी खुली रहें। आपकी सजगता (ध्यान) बिन्दू (चोटी का मध्यभाग अथवा तालु स्थान के ऊर्ध्वभाग) पर रहे। तदनन्तर जैसे-जैसे आपकी सजगता आज्ञा चक्र, विशुद्धि चक्र, अनाहत चक्र, मणिपुर चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र और मूलाधार चक्रों पर अवरोहण (ऊपर से नीचे की ओर आयें) करें वैसे-वैसे अपनी आँखों को शनैः शनैः बन्द करते जायें। जब आपकी सजगता मूलाधार चक्र पर पहुँच जाये