________________
विशिष्ट अभ्यास साध्य यौगिक मुद्राओं की रहस्यपूर्ण विधियाँ...125
विधि
• किसी भी ध्यान के आसन में बैठकर सम्पूर्ण शरीर को ढीला छोड़ दें। • फिर समूचे मुख को फैलाकर कण्ठ के द्वारा वायु खींचने (मुँह द्वारा श्वास लेने) का प्रयास करना भुजंगिनी मुद्रा है | 86
निर्देश
1. इस मुद्राभ्यास में कुछ देर तक श्वास को भीतर रोकें । 2. अधिकतम अवधि तक पेट को विस्तृत करते हुए रखें। 3. भीतर रोकी गई श्वास को डकार लेते हुए बाहर निकालें। 4. क्रिया की पुनरावृत्ति इच्छानुसार कर सकते हैं।
5. इसका अभ्यास किसी भी समय किया जा सकता है।
सुपरिणाम
• यह अभ्यास पाचक रस उत्पन्न करने वाली ग्रंथियों एवं अन्ननलिका की दीवारों को नवजीवन प्रदान करता है । उदर को स्वस्थ बनाता है। इससे अजीर्ण आदि उदर रोग नष्ट हो जाते हैं। इस प्रदेश में संग्रहित पुरानी दूषित वायु का निकास होता है। • इस क्रिया प्रयोग के दौरान वायु तालु और जिह्वा के मध्य घूमती रहती है इससे शरीर अभूतपूर्व शक्ति का अनुभव करने लगता है। इस अभ्यास में दक्षता पाने के बाद जरा और मृत्यु का विच्छेद हो जाता है। 87
मुद्रा विज्ञान सम्पूर्ण विश्व में भारतीय योग साधना का प्रतिनिधित्व कर रहा है। योग साधकों एवं शोध संस्थानों ने विविध प्रयोगों के माध्यम से अनेक रहस्यपूर्ण तथ्यों को प्रकट किया है। आज जब भौतिकवाद अपनी चरम सीमा पर है समय एक बार फिर ऐसी ही यौगिक साधनाओं की आवश्यकता अनुभव कर रहा है। सम्पूर्ण मानव समाज प्राकृतिक चिकित्सा के महत्त्व को स्वीकार कर उसी मार्ग पर अग्रसर है। यौगिक साधना की विविध रीतियों का नियमोक्त पालन उनकी संसिद्धि में विशेष सहायक बनता है । अभ्यास साध्य यौगिक मुद्राओं की साधना कुछ कठिन होने पर भी अनेक साधकों द्वारा इसके सफल प्रयोग किए जाते है। जो लोग मुद्रा आदि यौगिक साधनाओं के मार्ग पर पूर्व से अग्रसर हैं उनके लिए आगे बढ़ने का दिव्य सोपान है। इस अध्याय लेखन का मुख्य उद्देश्य भारतीय योग विद्या के अथाह सागर से जन उत्थान और कल्याण हेतु कुछ रहस्यमयी ज्ञान उपलब्ध करवाना है।