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124... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग सुपरिणाम
• घेरण्ड संहिता के अनुसार इस मुद्रा का अधिकारी व्यक्ति हाथी के समान बलशाली हो जाता है और सदा सुखी रहता है। इस मुद्रा के सिद्ध होने पर बुढ़ापा नहीं आता तथा मृत्यु भय भी समाप्त हो जाता है।85_ __इसका तात्पर्य यह है कि मातंगिनी मुद्रा की संसिद्धि से कायर नर भी योद्धा की भाँति पराक्रमी बन जाता है परिणामस्वरूप असम्भव कार्य भी उसके लिए सम्भव हो जाते हैं। तब वह जरा और मृत्यु भय से भी पार हो जाता है। बुढ़ापा
और मृत्यु शरीर के धर्म हैं। शरीर में प्रतिक्षण परिवर्तन होता रहता है। सड़ना, गलना, नाश होना उसका निजी गुण है। ऐसी स्थिति में शरीर के प्रति मोह एवं भय कैसा? इस तरह का विचार करते हुए समस्त भयों से मुक्त रहता है। 21. भुजंगिनी मुद्रा
भुजंग का अर्थ है सर्प और मुद्रा का अर्थ है सर्पाकृति के समान शरीर के हाव-भाव। सहज रूप से बैठे हुए सर्प की जो आकृति होती है इस मुद्रा को बनाते समय भी लगभग शारीरिक संरचना अथवा मुखस्थ भाग उस तरह का प्रतीत होता है इसलिए इस मुद्रा का नाम भुजंगिनी मुद्रा रखा गया है।
भुजंगिनी मुद्रा