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________________ 112... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग पंच धारणा मुद्रा योग तत्त्वोपनिषद् में कहा गया है कि जिसका चित्त जिस वायु के साथ सुषुम्ना में प्रवेश करता है उसके लिए पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पंच महाभूत रूपी देवताओं की पाँच प्रकार की धारणा हो जाती है। ___ इस प्रकार यह मुद्रा पृथ्वी आदि पंच महाभूत जन्य देवताओं को तुष्ट करने एवं तत्सम्बन्धी शक्तियों को प्रगट करने के प्रयोजन से की जाती है। विधि पार्थिवी धारणा • आरामदायक आसन में बैठ जायें। • फिर हरित वर्ण के समान (पृथ्वी तत्त्वीय) बीज मन्त्र 'लं' को चौकर आकार में और ब्रह्मदेवता को योगबल से हृदय में धारण करें तथा पांच घड़ी (दो घंटा) पर्यन्त कुंभक (श्वास का निरोध) करें। • फिर रेचक करते हुए सामान्य अवस्था में लौट आना पार्थिवी धारणा मुद्रा है।71
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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