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98... यौगिक मुद्राएँ: मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग
कुम्भक
शक्तिचालिनी मुद्रा-3
• तत्पश्चात योनि मुद्रा का अभ्यास करें। इसमें आँखों, कानों, नासिका और होठों को अपनी अंगुलियों एवं अंगूठों से बन्द कर दें। (चित्र नं. 3)
• अपनी सजगता को अवरोहण ( मेरूदंडीय मार्ग) एवं आरोहण (सामने के मार्ग) में लगातार वृत्त के रूप में घूमने दें।
• इसी के साथ एक पतले एवं हरे सर्प को अपनी सजगता के साथ उस मार्ग में घूमता हुआ देखने का प्रयास करें।
• श्वास रोके रहें। साँप मेरुदंडीय मार्ग में बिन्दू से मूलाधार तक नीचे एवं सामने के मार्ग में मूलाधार से बिन्दू तक ऊपर जाता है।
इस सर्प की गति अपनी सजगता की गति से मिली हुई होनी चाहिए ।