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________________ विशिष्ट अभ्यास साध्य यौगिक मुद्राओं की रहस्यपूर्ण विधियाँ ...97 अभिश्वसन शत्तिश्चालिनी मद्रा-2 किन्हीं मान्यतानुसार शक्तिचालिनी मुद्राभ्यास की निम्न विधि है।53_ - आरामदायक सिद्धासन या सिद्धयोनि आसन में बैठ जायें। • अपनी पीठ सीधी रखें। सम्पूर्ण अभ्यास काल में आँखें बंद रखें। खेचरी मुद्रा का प्रयोग करें। • गहरी श्वास छोड़ें। सिर को थोड़ा आगे झुकायें अपनी चेतना को मूलाधार चक्र पर ले जायें। मानसिक रूप से मूलाधार-3 मंत्र का उच्चारण करें। तत्पश्चात उज्जायी प्राणायाम करते हुए सजगता का सामने की ओर से आरोहण करें। आरोहण करते समय क्रमश: स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत एवं विशुद्धि चक्र स्थानों के प्रति सजग रहें। (चित्र नं. 1) • जैसे ही आपकी सजगता विशुद्धि चक्र से बिन्दू पर पहुँचें, मस्तक को थोड़ा ऊपर उठायें (चित्र नं. 2) • बिन्दू पर पहुँचते ही गहरा श्वास लें और कुंभक (श्वास रोकने की क्रिया) करें।
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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