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________________ 92... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग भावातीत नाद है और नाद का मूल स्रोत है। इसे परम चेतना की अवस्था में ही सुना जा सकता है। इस नाद की तरंगें इतनी तीव्र होती है कि उसका वर्णन ही नहीं किया जा सकता। यह नि:शब्द नाद है तथा समाधि अवस्था से संबंधित है। इसे अनहद नाद भी कह सकते हैं। इस स्थिति तक पहुँचना परम चेतना की अवस्था कहलाती है। योनि मुद्रा के द्वारा निःसन्देह इस अवस्था का साक्षात्कार किया जा सकता है। • इस अभ्यास की मदद से जब मन नाद में लीन होता है तब ध्यानावस्था की प्राप्ति भी होती है। इससे व्यक्ति अपने अन्तराकाश में ऊँची उड़ान भर सकता है। इस तरह ध्यानावस्था के जो मूलभूत लाभ हैं, वे सभी नादयोगसाधना द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं। • अनुभवसिद्ध योगी पुरुषों ने इसका महत्त्व दर्शित करते हुए इतना तक कहा है कि इसका साधक ब्रह्म हत्या, भ्रूणहत्या, सुरापान आदि पापों से मुक्त हो जाता है। संसार के सभी महापाप-उपपाप मुद्रा सिद्धि से मिट जाते हैं इसलिए मोक्षार्थियों को इसका अभ्यास करना चाहिए।46 • सामान्य स्तर पर यह मुद्रा मूलाधार चक्र आदि विशिष्ट स्थानों का भेदन कर साधक को स्वयं में असीम शक्ति का अहसास करवाती है। इस मुद्रा से प्रभावित शक्ति केन्द्र आदि इस प्रकार हैं चक्र- मूलाधार एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन, पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- नाक, कान, गला, मुख, स्वरयंत्र, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण तंत्र आदि। 11. वज्रोली मुद्रा __ वज्रोली शब्द की व्युत्पत्ति वज्र से हुई है जिसके अनेक अर्थ हैं। यहाँ वज्रोली शब्द से तात्पर्य वज्र नामक नाड़ी से है। शरीर के अधोभाग में वज्रनामक नाड़ी है जो जननेन्द्रिय को मस्तिष्क से जोड़ती है तथा प्रजनन अंगों में प्राण-शक्ति का प्रवाह करती है। वज्र नाड़ी के सहयोग द्वारा जिस मार्ग से जननेन्द्रिय एवं मस्तिष्क का सम्बन्ध जुड़ता है वह चेतना का भी एक मार्ग है जिसका सम्बन्ध सुषुम्ना मार्ग से है। यह मार्ग सीधा आत्मचेतना से सम्बन्धित है। इस परिचय से स्पष्ट होता है कि वज्रोली मुद्रा चेतना प्रधान एवं अध्यात्म प्रधान मुद्रा है।
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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