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________________ 90... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग • श्वास को अन्दर रोककर रखें (अंतकुंभक करें)। . हिन्दू लोग सिर पर जहाँ चोटी रखते हैं उस स्थान को बिन्द्र कहते हैं। उसी स्थान पर अन्दर सिर के मध्य भाग में या दाहिने कान में आवाजों को सुनने का प्रयास करें। प्रारंभ में अनेक आवाजें सुनाई देगी अथवा कुछ सुनाई न भी दें। उसकी चिन्ता न करें। केवल सुनते जायें। अपनी श्वास को यथासंभव अन्दर रोके रहें। बाद में नासारन्ध्रों पर से अंगुलियों के दबाव को कम करते हुए श्वास को बाहर छोड़ दें। यह प्रथम आवृत्ति हुई। • अब पुनः श्वास को अन्दर लें। नासारन्ध्रों को बन्द कर दें और अन्तकुंभक करें। अन्दर की आवाजों को सुनने का प्रयास करें। कुछ समय पश्चात नासारन्ध्रों को मुक्त कर दें और श्वास को बाहर छोड़ दें।42 • इस प्रकार अभ्यास को दोहराते जायें। निर्देश 1. सम्पूर्ण अभ्यास काल में अन्तकुंभक करते समय आपकी सजगता आंतरिक नाद पर ही रहे। 2. प्रारम्भ में शायद आवाजों का कोलाहल सनाई दे सकता है, लेकिन ____ अभ्यास करते-करते एक विशेष प्रकार की आवाज सुनाई देने लगेगी। 3. जब आपको कोई स्पष्ट आवाज सुनाई दे तो उसे सजगता पूर्वक सुनते जायें। धीरे-धीरे वह आवाज अधिक स्पष्ट होती जायेगी। उस ध्वनि को ध्यान से सुनते जायें। 4. यदि आपकी संवेदनशीलता अधिक विकसित है तो स्पष्ट आवाज के पीछे पुनः एक नई मन्द आवाज उभरने लगेगी। इस अवस्था में प्रथम आवाज को छोड़कर अपनी सजगता को दूसरी मन्द आवाज पर केन्द्रित करें। इस प्रकार अभ्यास करते जायें। एक आवाज को सुनना, कुछ समय पश्चात उसको छोड़कर दूसरी सूक्ष्मतर आवाज को सुनना। आप जितना सूक्ष्म आवाजों को सुनते जायेंगे उतनी ही गहराई से अपने अस्तित्व की खोज करने में सफल होंगे।
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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