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विशिष्ट अभ्यास साध्य यौगिक मुद्राओं की रहस्यपूर्ण विधियाँ ...89
योनि मुद्रा जगत से सम्पर्क स्थापित करने में भी ये ही द्वार मूलभूत हैं। इन द्वारों को बन्द करने से बाह्यदृष्टि अन्तर्दृष्टि का निमित्त बन जाती है। इस अभ्यास को बद्धयोनि आसन भी कहते हैं। यहाँ बद्ध का तात्पर्य सातों दरवाजों को बन्द करने से है।40
इस तरह कहा जा सकता है कि इस मुद्रा का अभ्यास बहिर्मुखी शक्ति प्रवाह को अन्तर्मुखी करने के प्रयोजन से किया जाता है। विधि
• इस मुद्रा की सफलता के लिए सिद्धासन या सिद्धयोनि आसन में बैठे। तदनन्तर सम्पूर्ण शरीर को शिथिल कर दें। मेरुदण्ड और गर्दन एक सीध में रखें।
• धीरे-धीरे गहरा श्वास लें।
• तत्पश्चात दोनों हाथों के अंगूठों से कर्णयुगल को, दोनों हाथों की तर्जनियों से नेत्रयुगल को, मध्यमा अंगुलियों से नासारन्ध्रों को, अनामिका और कनिष्ठिका से होठों को हल्के से दबाकर बन्द कर दें।1