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80... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग एकाग्रता तथा ध्यानावस्था की प्राप्ति होती है।
सामान्यतया इस मुद्रा से निम्न शक्ति केन्द्रों एवं शरीर के अंगोपांग आदि प्रभावित होते हैं जिससे साधक की विशिष्ट शक्तियाँ ऊर्ध्वगामी बनती हैं___ चक्र- मूलाधार, मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- पृथ्वी, अग्नि एवं वायु तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन, एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति, तैजस एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमेरुदण्ड, गुर्दे, पैर, पाचन संस्थान, नाड़ीतंत्र, यकृत, तिल्ली, आँते, कान, नाक, गला, स्वरयंत्र। 8. खेचरी मुद्रा _ 'खे' का अर्थ है आकाश और 'चर' का अर्थ है विचरना। आकाश में पक्षीगण विचरण करते हैं। इस तरह खेचरी शब्द का वाच्यार्थ पक्षी है। आपने देखा होगा जब पक्षी आकाश में उड़ता है तब मध्य में ग्रीवा तथा दोनों ओर पंख होते हैं खेचरी मुद्रा के प्रयोग में भी मुँह के भीतर की स्थिति उसी तरह की होती है। साथ ही गले के दोनों ओर केराटिड साइनस नामक दो विशेष अंग होते है। जो उड़ते हुए पक्षी के आकार में ही कण्ठदेश पर स्थित होते हैं उन पर अभ्यास काल के
खेचरी मुद्रा