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70... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग 5. मूलबंध मुद्रा
मूल का अर्थ है जड़ और बंध का अर्थ है बांधना। सामान्यतया मूल शब्द के अनेक तात्पर्य हो सकते हैं जैसे मूलाधार चक्र, कुंडलिनी का निवास स्थान, मेरुदंड का आधार आदि। ये सभी समान अर्थ के द्योतक हैं, क्योंकि मेरुदंड का आधार मूलाधार चक्र है तथा मूलाधार चक्र के स्थान पर ही कुंडलिनी शक्ति रहती है। यहाँ अभिप्राय की दृष्टि से समग्र अर्थों का ग्रहण हो जाता है। पारिभाषिक दृष्टि से मूलाधार चक्र स्थित अपान वायु को ऊपर की ओर खींचना मूल बंध कहलाता है।
इस बंध का मुख्य उद्देश्य शरीर के निम्न प्रदेशों में निहित अपानवायु को ऊर्ध्वगामी करते हुए अध्यात्म दिशा की ओर प्रयाण करना है। विधि
• मूल बंध के लिए ध्यान योग्य आसन में बैठे जायें। • हथेलियों को घुटनों पर रखें। • आँखें बन्द कर लें तथा सम्पूर्ण शरीर को शिथिल करें।
• गहरी श्वास लेकर अंतर्कुम्भक करें तथा जालंधर बंध लगायें। तदुपरान्त
मूलबंध मुद्रा-I