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________________ 54... यौगिक मुद्राएँ: मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग • तदनन्तर शान्त भाव से सिर को सामने की ओर स्थिर करें। फिर धीरेधीरे मस्तक को दाहिनी ओर घुमाएँ, ताकि ढाई मिनट की अवधि में कंधे की सीध में आ सके। • समय की गणना हेतु गिनती या श्वास संख्या का सहारा लें। लगभग चौथाई मिनट (15 सैकण्ड ) सिर को दायीं ओर ही स्थिर रखें। • तत्पश्चात धीरे-धीरे मस्तक को बायीं ओर घुमाना प्रारम्भ करें तथा पाँच मिनट में बाएँ कंधे की सीध में पहुंचा दें। लगभग चौथाई मिनट (15 सैकण्ड ) सिर को बायीं ओर ही सुस्थिर रखें। • उसके बाद मस्तक को पुनः दाहिनी ओर घुमाना प्रारम्भ करें तथा ढ़ाई मिनट में प्रारंभिक स्थिति में पहुँचे। लगभग चौथाई मिनट ( 15 सैकण्ड ) सिर को दाहिनी ओर ही स्थिर रखें। • तत्पश्चात मस्तक को ऊपर की ओर ले जाना प्रारंभ करे । ढ़ाई मिनट तक ऊपर उठाते हुए सिर को अधिकतम पीछे की ओर ले जाएँ । • लगभग चौथाई मिनट ( 15 सैकण्ड ) सिर को इसी स्थिति में रखें। • तदनन्तर मस्तक को पुनः सामने की ओर लाते हुए पाँच मिनट तक नीचे की ओर जाने दें। लगभग चौथाई मिनट ( 15 सैकण्ड ) सिर को अवनत स्थिति में रहने दें। • फिर ढ़ाई मिनट की अवधि में मस्तक को प्रारंभिक ( सामने की ) स्थिति में ले आएँ। • इस तरह चारों दिशाओं में सिर को घुमाने एवं स्थिर करने में 21 मिनट का समय व्यतीत होता है। यह ब्रह्म मुद्रा का एक वृत्त हुआ । 16 निर्देश 1. इस मुद्रा के लिए उपरोक्त आसन का ही उपयोग करें। 2. इस मुद्रा की यथाशक्ति कितनी भी आवृत्तियाँ की जा सकती है । 3. ब्रह्म मुद्रा के अभ्यास काल में श्वास की गति सामान्य रूप से मन्द रहे। सुपरिणाम • शारीरिक दृष्टि से गर्दन की नसों को पुनः पुनः तानने एवं ढीला करने से उनमें शक्तिवर्द्धन और लचीलापन आता है।
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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