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हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप......283 हथेलियों के मध्य किसी वस्तु को रखा जा सके उतना पोलापन (रिक्त) रहें, तब नमस्कार मुद्रा का दूसरा प्रकार बनता है।17 लाभ
चक्र- आज्ञा एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- आकाश एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थिपीयूष, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें। 14. नेत्र मुद्रा ___ हिन्दू एवं बौद्ध परम्परा में समान रूप से प्रचलित यह मुद्रा नेत्र युगल की सूचक है। यह मुद्रा आँखों के सामने धारण की जाती है। इस मुद्रा को द्विविध रूपों में किया जाता है जिसकी विधि निम्न हैप्रथम प्रकार
प्रथम प्रकार में एक नेत्र दर्शाया जाता है।
नेत्र मुद्रा-1