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282... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
लाभ
चक्र- मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व - अग्नि एवं वायु तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र - तैजस एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन संस्थान, नाड़ी संस्थान, यकृत, तिल्ली, आंते, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचरण प्रणाली आदि ।
द्वितीय प्रकार
यह मुद्रा श्रद्धा, अभिवादन अथवा किसी इच्छा पूर्ति के बाद धन्यवाद देने की सूचक है। यह मुद्रा जापानी और चीनी बौद्ध परंपरा में भी धारण की जाती है। इस मुद्रा के द्वारा अवलोकितेश्वर का चतुर्भुजा रूप दिखाया जाता है जो अपने हाथ में इच्छापूरक रत्न (चिंतामणी) को धारण करता है।
नमस्कार मुद्रा -2
विधि
दोनों हथेलियों को मध्य भाग में समीपकर अंगुलियों को इस भाँति ऊपर उठायें कि सभी के अग्रभाग परस्पर योजित एवं हल्के से झुके हुए रहे तथा