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हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप......281 13. नमस्कार मुद्रा
झुककर अभिवादन करना, प्रणाम करना नमस्कार कहलाता है। तिब्बत इस मुद्रा को 'फ्याग-हत्शल, फ्याग रग्य' मुद्रा कहते हैं। इस मुद्रा की भिन्न-भिन्न कई स्थितियाँ है। जिनमें निम्न दो मुद्राएँ हिन्दू एवं बौद्ध परम्परा में समान रूप से स्वीकार्य है। इनमें भी प्रथम नमस्कार मुद्रा हिन्दू परम्परा में तथा द्वितीय नमस्कार मुद्रा बौद्ध परंपरा में अधिक प्रचलित है। प्रथम प्रकार
यह मुद्रा श्रद्धा और अभिवादन की सचक है।
दोनों हथेलियों को ललाट के आगे मिलाकर अंगुलियों को इस तरह ऊपर उठायें कि अंगुलियों के अग्रभाग एक-दूसरे से स्पर्शित एवं हल्के से झुके हुए रह सकें।16
यह नमस्कार मुद्रा का प्रथम प्रकार है।
नमस्कार मुद्रा-1