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हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप... ...277 10. करन मुद्रा
हिन्दू एवं बौद्ध परम्परा में स्वीकृत यह मुद्रा भूत आदि दुष्ट आत्माओं को निष्कासित करने की सूचक है। करन शब्द अनेकार्थक है। यहाँ करन मुद्रा के द्वारा करने वाले के भाव दर्शाये जाते हैं।
यह मुद्रा एक हाथ से निम्न प्रकार होती है
विधि
दायीं हथेली को सामने की तरफ अभिमुख कर तर्जनी और कनिष्ठिका को भूमि के समानान्तर सीधी रखें तथा मध्यमा और अनामिका को हथेली में मोड़कर अंगूठे को उनके ऊपर रखने से करन मुद्रा बनती है। 11
करन मुद्रा
लाभ
चक्र - मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र - शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मेरूदण्ड, गुर्दे, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें।