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270... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में दर्शाती है। जैसे तांत्रिक परम्परा में अवलोकितेश्वर अमिताभ के चित्र को धारण करता है। यह संयुक्त मुद्रा निम्नानुसार हैविधि ___दोनों हाथों को मस्तक के आगे रखते हुए हथेलियों को ऊपर की ओर करें, फिर हथेलियों के एड़ी भाग को आपस में मिलायें तथा अंगुलियों को हल्का सा पृथक करते हुए उन्हें ऊपर की ओर फैलाने पर अंजलि मुद्रा बनती है।
अंजलि मुद्रा लाभ __चक्र- मूलाधार, अनाहत एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी, वायु एवं अग्नि तत्त्व केन्द्र- शक्ति, आनंद एवं तैजस केन्द्र ग्रन्थि- प्रजनन, थायमस, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड गुर्दे, पैर, हृदय, फेफड़ें, रक्त संचरण तंत्र, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें। 4. अर्धचन्द्र मुद्रा
जिस मुद्रा में आधे चन्द्र जैसी आकृति दिखायी पड़ती हो उसे अर्धचन्द्र मुद्रा कहा जाता है।
यह मुद्रा हिन्दू एवं बौद्ध परम्परा में देवी-देवताओं के द्वारा धारण की जाती