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256... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में सुपरिणाम
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- जल एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- स्वास्थ्य एवं दर्शन केन्द्र ग्रन्थि- प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र। 3. विद्राविणी मुद्रा
क्षोभ मुद्रा, लक्षणमुक्त्वोक्तम् । एतस्या एव मुद्राया, मध्यमे सरलायदा ।।
क्रियते परमेशानि, तदा विद्राविणीमता ।। दोनों कनिष्ठिकाओं को अंगूठों से आक्रमित करते हुए अनामिकाओं को हथेली की तरफ मोड़ना तथा शेष अंगुलियों को ऊर्ध्व दिशा में रखना विद्राविणी
मुद्रा है।
विहार
विद्राविणी मुद्रा सुपरिणाम
चक्र- मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वायु तत्त्व केन्द्रतैजस एवं आनंद केन्द्र प्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि विशेष