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240... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में 4. अर्घ्य मुद्रा
दोनों हाथों को अंजलि रूप में बनाकर उसमें गंध-पुष्पादि से युक्त जल को ग्रहण करें। फिर उसे सूर्य देवता के सम्मुख छोड़ना अर्घ्य मुद्रा है।
अर्घ्य मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र- मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं जल तत्त्व केन्द्र- शक्ति एवं स्वास्थ्य केन्द्र ग्रन्थि- प्रजनन ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंगमेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, मल-मूत्र अंग एवं प्रजनन अंग।