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222... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में सुपरिणाम
चक्र- मणिपुर, स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि, जल एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- तैजस, स्वास्थ्य एवं दर्शन केन्द्र ग्रन्थि- एड्रिनल, पैन्क्रियाज, प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र। 5. तत्त्व मुद्रा
यहाँ तत्त्व शब्द से तात्पर्य पंच महाभूत से हैं। पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश और जल इन पाँच तत्त्वों से सृष्टि का निर्माण हुआ है ऐसा माना जाता है। हमारे शरीर की पाँचों अंगलियाँ भी इन तत्त्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं। सृष्टि रचना के अनुसार यह शरीर भी पंचभूतों से निष्पन्न है। शरीरस्थ पंच तत्त्वों में किसी तरह का दोष या विकार पैदा हो जाए तो अंगुलियों की चिकित्सा के माध्यम से उद्गम दोषों को दूर किया जा सकता है।
तत्व मुद्रा