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________________ 220... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में इस मुद्रा की खास विशेषता यह है कि जिसका प्रयोग बिना मंत्रों के भी किया जा सकता है। इस मुद्रा से निम्न चक्रादि सम्बन्धी रोगों का शमन होता है। चक्र- मणिपुर एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व केन्द्रतैजस एवं ज्ञान केन्द्र प्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पिनियल ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, ऊपरी मस्तिष्क एवं आँखें। 3. कुन्त मुद्रा शस्त्र का एक प्रकार, भाला अथवा पंखदार बाण, जिसके द्वारा अनिष्ट का निवारण और इष्ट का संरक्षण किया जा सकता हो कुन्त कहलाता है। इस मुद्रा को करते वक्त हाथों की आकृति कुन्त सदृश प्रतीत होती है अत: इसे कुन्त मुद्रा कहते हैं। ___ इस मुद्रा प्रयोग के द्वारा आसुरी शक्तियों का हनन एवं उपद्रव कारक शत्रुओं को भयभीत किया जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय मुद्राओं में से एक है। कृष्ण भगवान के रौद्र रूप को इसी मुद्रा में देखा गया है। सुदर्शन चक्र का प्रयोग करते वक्त भी यह मुद्रा देखी जाती है। कुन्त मुद्रा
SR No.006255
Book TitleHindu Mudrao Ki Upayogita Chikitsa Aur Sadhna Ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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