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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...219 2. अंकुश मुद्रा
एक प्रकार के लोहे का कांटा, जिसके द्वारा किसी वस्तु को खींचा जा सकता हो अंकुश कहलाता है। इस मुद्रा में हस्तांगुलियों की आकृति अंकुश की तरह बनती है अत: इसे अंकुश मुद्रा कहते हैं।
इस मुद्रा प्रयोग के द्वारा बाह्यमल के साथ-साथ आभ्यन्तर मल को निष्कासित करने का प्रयत्न किया जाता है।
विधि
अंकुश मुद्रा ___ सर्वप्रथम सुखासन में बैठ जाएँ। फिर दाहिने हाथ की मुट्ठी बांधकर तर्जनी अंगुली को अंकुश के समान किंचित मोड़ने से अंकुश मुद्रा बनती है।
सुपरिणाम- यह त्रैलोक्य का आकर्षण करने वाली एक महत्त्वपूर्ण मुद्रा है। इस मुद्रा का प्रयोग आकर्षण मन्त्रों एवं मोहिनी मंत्रों की साधना करते समय किया जाए तो निःसन्देह उसमें सफलता मिलती है। साथ ही साधक का आकर्षण तीन लोक में प्रसरित होता है।
बहुश: व्यक्ति आकर्षण मन्त्रादि का जाप करते हैं परन्तु उन मन्त्रों को सिद्ध करने में सफलता नहीं मिलती है, उसका एक मात्र कारण यह माना जाता है कि उनका प्रयोग सही मुद्राओं के साथ नहीं किया जाता है।