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________________ 194... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में प्रतीकात्मक भाव समग्रता है। अध्यात्म दृष्टि से जहाँ कुछ नहीं होता वहाँ सब कुछ होता है। इस वाक्य में गूढार्थ निहित है। ___ यौगिक क्रियाओं में अत्यन्त सूक्ष्म ध्वनि, जिसे अनुभूति के स्तर पर ही पहचाना जा सकता है उसे बिन्दु कहा है। उत्तम कोटि के साधक ही बिन्दु अनुभव की साधना करते हैं। वे बिन्दु का अहसास करते-करते शब्दातीत अवस्था को उपलब्ध कर लेते हैं। बिन्दु मुद्रा का उद्देश्य देहातीत-वचनातीत स्थिति के निकट पहुँचना है। बिन्दु मुद्रा विधि किसी भी सुयोग्य आसन में आराम पूर्वक बैठ जायें। फिर नाद मुद्रा की भाँति दाहिने हाथ की मुट्ठी बांधकर तर्जनी और अंगूठे को परस्पर संयुक्त कर देना बिन्दु मुद्रा है। __सुपरिणाम- हठयोग प्रदीपिका में बिन्दु के महत्त्व को व्याख्यायित करते हुए कहा गया है कि जो बिन्दु की चरम सीमा को रोक सकता है वही मृत्यु पर
SR No.006255
Book TitleHindu Mudrao Ki Upayogita Chikitsa Aur Sadhna Ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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