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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ... 193
नाद मुद्रा
निर्देश - बीज मुद्रावत समझें ।
सुपरिणाम - जीवन्यास मुद्राओं में नाद मुद्रा अत्यन्त रहस्यमयी है। यह मुद्रा अध्यात्म दिशा की ओर अग्रसर होने के लिए संजीवनी औषधि का कार्य करती हैं। इसका अभ्यासी साधक नाद प्रवाह से चेतना प्रवाह की ओर अभिमुख होता है।
शारीरिक तौर पर आज्ञा, विशुद्धि एवं सहस्रार चक्र प्रभावित होते हैं। जिसके फलस्वरूप अध्यात्म शक्ति का जागरण होता है और स्वर सम्बन्धी रोगों में फायदा होता है।
कंधा,
एक्यूप्रेशर के अनुसार इसके दाब केन्द्र बिन्दू साइनस, कर्ण, चक्षु, श्वास नली, उदर सम्बन्धी विकारों का शमन करते हैं।
5. बिन्दु मुद्रा
संस्कृत का बिन्दु शब्द बिंद् धातु से बना है। यह धातु खण्ड-खण्ड करना अथवा बांटना अर्थ में प्रयुक्त होती है। बिन्दु का एक अर्थ शून्य है। शून्य का