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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...187
शिखायै मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र- सहस्रार एवं विशुद्ध चक्र तत्त्व- आकाश एवं वायु तत्त्व केन्द्रज्ञान एवं विशुद्धि केन्द्र ग्रन्थि- पिनियल, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- ऊपरी मस्तिष्क, आँखें, नाक, कान, गला, मुंह एवं स्वर यंत्र। 6. शिरसी मुद्रा
यह मुद्रा मस्तिष्कीय शक्ति को जागृत करने एवं तद्स्थान की रक्षा करने हेतु की जाती है अत: इसे शिरसी मुद्रा कहते हैं।
दायें हाथ की चतुः अंगुलियों के अग्रभाग से ललाट भाग को स्पर्श करना शिरसी मुद्रा है।
इसका मन्त्र है "ओम क्लिं शिरसी स्वः।"