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186... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
इसका मन्त्र है- "ओम् भुर्भुवः फट्।"
फट् मुद्रा सुपरिणाम
चक्र- मणिपुर, आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- तैजस, ज्योति एवं ज्ञान केन्द्र प्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज, पिनियल एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली,
आँतें, नाड़ी तंत्र, स्नायु तंत्र, मस्तिष्क एवं आँखें। 5. शिखायै मुद्रा
यह मुद्रा शिखा (चोटी) स्थान को जागृत एवं सुरक्षित रखने के प्रयोजन से की जाती है अत: इसका नाम शिखायै मद्रा है।
दायें अंगूठे के अग्रभाग से मस्तक के अग्रभाग का स्पर्श करना शिखायै मुद्रा है।
इसका मन्त्र है- “ओम सहु शिखायै हुँ।"