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188... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
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शिरसी मुद्रा सुपरिणाम
चक्र- आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व केन्द्र- ज्योति एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि- पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- ऊपरी मस्तिष्क, निचला मस्तिष्क, आँख एवं स्नायु तंत्र।
जीवन्यास सम्बन्धी मुद्राएँ जीव अर्थात चेतना, न्यास अर्थात आरोपित करना। चेतनात्मक केन्द्रों पर मंत्रों अथवा शुभ परिणामों को तदनुरूप हाव-भाव सहित आरोपित करना जीवन्यास मुद्रा कहलाती है। तन्त्र साधना में जीवन्यास संबंधित छह मुद्राएँ कही गई हैं वे इस प्रकार हैं-7 1. बीज मुद्रा
बीज शब्द के अनेक अर्थ हैं जीवाण, तत्त्व, मूल स्रोत, कारण, मन्त्र का प्रथम अक्षर इत्यादि। यहाँ बीज से तात्पर्य मूल स्रोत, प्रथम मन्त्राक्षर आदि है। जिस प्रकार मंत्रों में बीज मंत्र महत्त्वपूर्ण हैं उसी प्रकार मुद्राओं में यह बीज मुद्रा है।